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धान की फसल में कल्लों की संख्या कैसे बढ़ाए

लेखक: नीलेश शर्मा | दिनाँक: जुलाई 9, 2024

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धान की फसल में कल्लों का महत्व -

किसान भाइयों धान की फसल में अधिक संख्या में कल्लों का निकलना बहुत ही आवश्यक है। पौधे में कल्ले बढ़ाने के लिए हमें शुरुआती चरणों में ही तैयारी कर लेनी चाहिए जिससे धान के पौधों का संपूर्ण विकास हो पाए और वह कल्ले निकालने में सक्षम हो सके। धान की फसल में अधिक कल्लों का निकलना हमारी पैदावार को बढ़ाता है जिससे हम किसान साथी अधिक उपज प्राप्त करने करके आर्थिक लाभ ले पाते हैं

धान में अधिक कल्ले पाने के लिए उपयुक्त मिट्टी तैयार करने की तकनीक -

धान की फसल में अधिक कल्लों की संख्या पाने के लिए हमें इस प्रकार की मिट्टी का उपयोग करना चाहिए जिसमें सभी प्रकार के पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, पोटेशियम जिंक आदि उपस्थित हो। मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्व धान में कल्लों की संख्या बढ़ाने में सहायक होते हैं। धान के पौधे समय अनुसार मिट्टी से इनको प्राप्त कर कल्लों में वृद्धि करते हैं। धान में कल्लों की उपयुक्त संख्या को पाने के लिए जुताई के दौरान मिट्टी में इन पोषक तत्वों की कमी होने पर शुरुआती चरणों में ही इनको डाल देना चाहिए। जिससे की रोपाई के दौरान जब पौधा मिट्टी से अपने पोषक तत्वों को लेने में जब सक्षम हो जाए तो उसे यह पोषक तत्व आसानी से प्राप्त हो सके और धान का पौधा कल्लों की संख्या बढ़ा सके।

ऑर्गेनिक विधि द्वारा मिट्टी तैयार करना

  • 1.धान की फसल में अधिक कल्लों की संख्या पाने के लिए मिट्टी में गोबर की खाद या कंपोस्ट 12 से 14 टन प्रति हेक्टेयर या हरी खाद 6 से 7 टन प्रति हेक्टेयर मिट्टी में बिखरनी चाहिए।
  • 2.खेत की जब तक जुताई करें की संपूर्ण खाद खेत में समान रूप से वितरित न हो जाए।
  • 3.मिट्टी में हरी खत को बिखरने एवं वंचित जुदाई के बाद खेत में पानी भर दें, जिससे की हरी खास तड़पाए और उसमें मौजूद पोषक तत्व मिट्टी में मिल सके। वह कालों की संख्या में वृद्धि हो सके।
  • धान में अधिक कल्लों के लिए बीज का चयन और उपचार

    धान की फसल में अधिक कल्लों को पाने के लिए उत्तम बीजों का चयन करना चाहिए। बीजों का चयन क्षेत्रीय जलवायु, मिट्टी की उर्वरक क्षमता व पानी की आपूर्ति प्रबंधन के अनुसार करनी चाहिए। धान की फसल में अधिक कल्लों के लिए कुछ प्रवण बीज नीचे दिए गए हैं।

    Variety Name Variety Name Variety Name
    Arize 6129 BASMATI- 1121 BASMATI - 1401
    Arize-Swift BASMATI- 1692 BASMATI - 1886
    Pioneer-28p67 BASMATI - 1847 BASMATI - 1718
    Pioneer-27p31 BASMATI - 1509

    नोट :- धान के बीजों का चयन अपने प्रादेशिक जलवायु के अनुरूप करें।

    धान में कल्लों की संख्या वृद्धि की रोपण रणनीतियाँ -

    किसान साथियों धान की फसल में अधिक उपज अपने कल की अधिकतम संबंध।के लिए हमें कुशल रोपण विधियों का उपयोग करना चाहिए जिसमें धान के पौधों के बीच इष्टतम दूरी व रोपण की गहराई पर विचार करना चाहिए।

  • 1.मुख्य खेत में रुपाई धान के पौधे में अधिक कल्ले पाने के लिए पौधे को मुख्य खेत में जिसमें दो सेंटीमीटर पानी की उतरी गहराई हो रोपाई करनी चाहिए। पानी की अधिकतम गहराई में रोपण गहरा होगा जिससे कल्ले काम निकलेंगे।
  • 2.कम अवधि वाली धान की फसल के लिए दो से तीन पौधे तथा लंबी अवधि की किस्म के लिए दो पौधे एक साथ रौपें।
  • 3. धान में अधिक कल्ले को पाने के लिए रोपित पंक्तियों के बीच कम से कम 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
  • धान में कल्लों की संख्या बड़ाने हेतु पोषक तत्व प्रबंधन-

    धान की फसल में अधिक उपज एवं कल्लों की संख्या पाने के लिए फसल में पोषक तत्वों का प्रबंध करना बहुत ही आवश्यक है जिससे पौधे अपनी शुरुआती चरणों से अंत तक संपूर्ण पोषक तत्व प्राप्त कर अच्छी ग्रोथ कर पाएं।

    फसल में पोषक तत्वों का प्रबंध निम्न प्रकार करना चाहिए।

  • 1.रोपाई के पहले पोषक तत्व प्रबंधन - 25% नाइट्रोजन 100% p2o5 तथा 25% k2o को खेत की जुताई (पोखर) बनाने की प्रक्रिया में या रोपाई से ठीक पहले अंतिम के दौरान डालें।
  • 2.नाइट्रोजन एवं पोटेशियम को चार चरणों जैसे जुताई या मचाई(टिलरिंग) के समय रोपण के 10 से 12 दिन तथा रोपण के 25 से 35 वे दिन के अंतराल पर देने चाहिए, जिससे फसल में अधिक कल की संख्या को पाया जा सके।
  • 3. खेत में हरी खाद डाली गई है तो रॉक फॉस्फेट को उर्वरक स्रोत के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए।
  • 4. जिंक की कमी वाली मिट्टी के लिए 50 किलोग्राम FYM या 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर जिंक सल्फेट का इस्तेमाल जरूरी है। व अंतिम जुताई के समय 500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ज़िप्सम पोषक तत्वों के रूप में डालें।
  • यूरिया एवं डीएपी खाद का प्रयोग

    धान की फसल में अधिक कल्लों की संख्या को पाने के लिए चरणबद्ध तरीके से यूरिया एवं डीएपी खाद का प्रयोग आवश्यक है।

  • 1. धान में अधिक कल्लों के लिए नाइट्रोजन फास्फोरस का पोटेशियम को 50:25:25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अनुपात में प्रयोग करना चाहिए। 20 से 25 दिन बाद 40 से 45 दिन के बाद नाइट्रोजन व पोटेशियम को बराबर भागों में डालना चाहिए।
  • 2. यदि जुताई के बाद नमी की उपलब्धता पर्याप्त है तो 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन व 12.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पोटेशियम 3 भागों में 20 से 25 दिन 40 से 45 दिन व 60- 65 दिन के अंतराल पर डालें।
  • 3. मिट्टी में पर्याप्त नमी हो तो अधिक कल्लों की संख्या के लिए 10 दिन बाद 1% यूरिया + 2% डीएपी + 1% KCL का पत्तियों पर छिड़काव करें।
  • धान के कल्लों की बड़ोतरी के लिये खरपतवार नियंत्रण-

    धान की फसल में अधिक कल्लों की संख्या को पाने व उपज में बढ़ोतरी के लिए खरपतवार नियंत्रण अति आवश्यक है क्योंकि धान की फसल में उगने वाले खरपतवार पौधे की ग्रोथ एवं कल्लों की संख्या को प्रभावित करते हैं जिससे कि किसान भाई अधिक उपज का लाभ नहीं ले पाते।

    खरपतवार नाशक रसायनों का प्रयोग-

    धान में मुख्य रूप से सभी प्रकार के खरपतवार जैसे मोथा कुल, घास कुल एवं चौड़ी पट्टी वाले खरपतवार पाए जाते हैं। खरपतवार नासी रसायनों को 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर दर से छिड़काव करने से खरपतवार संबंधी समस्याओं से निपटा जा सकता है।

    ध्यान दे :- "उपयुक्त लेख में दी गई जानकारी स्वयं के अनुभव व शैक्षणिक स्रोतो के माध्यम से प्राप्त करके प्रस्तुत की गई है"